देश में 2014 के लिए मोदी और राहुल की बहस के बीच हमने अपने मित्र आनंद दत्त के साथ बात की एक्टिविस्ट से राजनीति में आये 'आप' के संयोजक अरविंद केजरीवाल से और उनसे पार्टी के कुछ कार्यक्रमों और देश की राजनीति के बारे में विस्तृत चर्चा की. प्रश्नावली बनाने में श्रीश चन्द्र जी के सहयोग के लिए हम उनके आभारी हैं। पेश है उनसे बातचीत...
सत्ता में आने के बाद जनता कैसे निर्णय लेगी?फोटो-आनंद दत्त |
क्या सभी निर्णय जनता से पूछ कर लेगे?
महत्वपूर्ण निर्णय जनता से पूछ कर लेगें, रोज के निर्णय जनता से पूछ कर नही लिए जायेगें। कुछ निर्णय ऐसे होते हैं जो जनता को widespread (व्यापक रूप से) प्रभावित करते है जब की कुछ आंशिक रूप से प्रभावित करते हैं, ऐसे निर्णय जनता पर थोपे नहीं जा सकते। FDI जैसे मुद्दों पर हम वार्डो के आधार पर निर्णय लेंगे।इन वार्डों में जनता बैठ कर निर्णय लेगी। फिर वार्डो के बहुमत के आधार पर सरकार फैसला लेगी।
विदेश नीति और रक्षा नीति पर भी जनता से पूछ कर निर्णय लिए जायेंगे?
नही, विदेश, रक्षा और वित्त जैसे मुद्दों पर जनता से पूछ कर निर्णय नहीं लिए जायेंगे। यहाँ पर केंद्र सरकार ही निर्णय लेगी।
आपकी पार्टी से चुन कर आये जन-प्रतिनिधि अगर लुटियंस दिल्ली के बड़े-बड़े सरकारी बंगलो में नही रहेंगे, तो फिर इनका (बंगलों) का क्या होगा?
इसके लिए भी जनता से सुझाव लिए जायेंगे लेकिन सच्चाई ये है कि एक तरफ तो 40 प्रतिशत जनता दिल्ली में झुग्गियों में रहती है, एक-एक झुग्गी में 10-10 लोग रह रहे हैं वहीँ दूसरी ओर इतने बड़े-बड़े बंगलों में 2-3 लोग रहते हैं। कुछ न कुछ तो गड़बड़ है। स्वीडन का प्रधान मंत्री बस में सफ़र करता है और भारत जैसे गरीब देश का प्रधान मंत्री 20-25 गाड़ियों के काफिले में सफ़र करता है। 3-4 बेड-रूम का फ्लैट पर्याप्त हैं संसद-विधायकों के लिए।
भारत में भ्रष्टाचार कभी प्रमुख मुद्दा नहीं रहा, भ्रष्टाचार एक मुद्दा तो हो सकता है पार्टी बनाने/चुनाव जीतने के लिए लेकिन एकमात्र मुद्दा नहीं।
देश में कोई एक पार्टी अगर भ्रष्टाचार को ख़त्म कर दे तो अन्य जो मुद्दे हैं उनका समाधान अपने आप हो जायेगा। (उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश के चुनावों में...)
उत्तर प्रदेश में लोगों के पास विकल्प नहीं था और उतराखंड में खंडूरी की वापसी और लोकायुक्त के कारण ही भाजपा इतनी टक्कर दे पायी।
2013 में दिल्ली के अतिरिक्त पांच राज्यों में विधान सभा चुनाव होने है, आपकी पार्टी केवल दिल्ली में ही चुनाव लड़ेगी या अन्य राज्यों में भी चुनाव लड़ेगी? चूंकि आपको 2014 में लोक सभा चुनाव लड़ना है तो आपको कम से कम जितने राज्यों में हो सके उतने में तो अपनी पार्टी का परिचय दे देना चाहिए।
इसका फैसला लेना अभी शेष है। उन राज्यों में हमारी पार्टी की कमेंटियां निर्णय लेगीं।
इंडिया टुडे-नीलसन सर्वे में लोग आपको नेता की तुलना में एक्टिविस्ट के रूप में ज्यादा देखना पसंद करते हैं, लोगों का मानना है कि पार्टी बनाने से आपकी विश्वसनीयता कुछ कम हुई है। क्या आपको लगता है कि पार्टी बनाने में कुछ जल्दबाजी कर दी?
तब तक भारत ही नही बचता। ये लोग देश को बेच देते। आयरन ओर खाली हो रहीं हैं, वैलाडील्हा की कोयले की खाने खाली हो गयी है, गोवा आयरन की खाने खाली हो गयी, छत्तीसगढ़ नदी बेच दी, हिमाचल प्रदेश में पहाड़ बेंच दिए। थोड़े दिनों में ये राष्ट्रपति भवन और संसद भी बेंच देगे। अब और देर नहीं कर सकते है, भारत दांव पर लगा हुआ है।
आपने अनशन से पहले रजत शर्मा को दिए गये एक इंटरव्यू में 2014 में व्यापक परिवर्तन (क्रांति ) की बात की थी। इस वक्तव्य से लगता है कि पार्टी बनाने का विकल्प आपके दिमाग में आ चुका था?
जनता में जो गुस्सा था और अभी भी है उसके हिसाब से हम लोगों का मानना था/है की 2014 का चुनाव कोई सामान्य चुनाव नहीं होने जा रहा है, इसलिए हमने ये कहा था, पार्टी बनाने का कोई विचार नही था।
वर्तमान में राहुल बनाम मोदी की चर्चा है... (सवाल के पूरा होने से पहले ही बीच में टोकते हुए )
अंडर करेंट को कोई महसूस नही करता, ये मीडिया का पूर्वानुमान है। ये भाजपा और कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई है। इस बार के चुनाव में देश की सारी पार्टियाँ एक तरफ होगी और दूसरी तरफ देश का आम आदमी होगा। लड़ाई जनता और कौरवों के बीच होगी।
गठबंधन की परिस्थितियों में किस पार्टी के साथ जाना पसंद करेगे?
फोटो-आनंद दत्त |
समर्थन लेने के मुद्दे पर किसका साथ लेना चाहेंगे? (गठबंधन के प्रश्न को दोबारा पूछने पर)
अभी हम इसके (गठबंधन समीकरण ) बारे में सोच नही रहे है। ये बहुत दूर की बात है।
आप एक बाद एक मुद्दे उठाते है उसका कोई समाधान नही हो पाता उससे पहले आप अन्य मुद्दा उठा देते हैं?
बताइए रॉबर्ट वाड्रा को जेल कैसे भेजा जाए। मुकेश अंबानी पर कार्रवाई कैसे/कौन करे? ये कांग्रेस का चलाया प्रोपेगेंडा है कि जब तक एक मुद्दे को न सुलझा लिया जाए तब तक दूसरा मुद्दा नही उठाना चाहिए। रॉबर्ट वाड्रा के मुद्दे को कोर्ट में सुलझने में 25 साल लग जायेगे, तब तक कलमाड़ी को भ्रष्टाचार करने दिया जाये? कलमाड़ी के मुद्दे को न उठाया जाये? हम तो रोज इन चोरों का मुद्दा उठायेगें।
आप खुद चुनावी कैरियर की शुरुआत कहाँ से करेगे, लोकसभा से या फिर विधानसभा से?
इसका भी फैसला नही किया गया है। आने वाले समय में पार्टी इस पर फैसला करेगी। ये सारी सत्ता की राजनीति है, कौन लडेगा, कौन नही लडेगा। ये सब सत्ता में आने के खेल है। हमारी पार्टी सत्ता क लिए चुनाव में नही उतर रही है. हम इस देश को बदलने आये है और इस देश की राजनीति बदलने आये है।
समय देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
achha kaam kiya hai aap sabhi ne ... best of luck for upcoming interviews....carry on
जवाब देंहटाएंbest of luck for future
जवाब देंहटाएंkeep it up...
जवाब देंहटाएंwell done amit carry on
जवाब देंहटाएंlagta hai punya prasuna bajpayee aur amitabh agnihotri bhi ye interview dekh ke peeche ho jayenge.isse behatar ki umeed kisi journalist se nhi kr skta.
जवाब देंहटाएंacccha hai yaarr...!!! interesting....!!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत ज़बरदस्त, सही, सटीक और संतुलित इंटरव्यू. इस नए-नवेले कलेवर के साथ ब्लॉग पर पदार्पण करने के लिए ढेरों साधुवाद!
जवाब देंहटाएंWith REgards:
AFAQ AHMAD
Ph.D. Researcher in Mass Communication
Aligarh Muslim University, Aligarh
Mobile: +91-9759611226