मंगलवार, 26 फ़रवरी 2013

इतिहास की पटरी पर भारतीय रेल

अंग्रेंजों ने अपने हितों के लिए भारत में रेलों की शुरुआत की। इस समय रेलों को भारत में लाने का उद्देश्य कच्छे माल को देश के अन्दर अन्य बंदरगाहों तक पहुचना था। रेल निर्माण की दिशा में पहला प्रयास डलहौजी ने 1846 में किया था लेकिन भारत में पहली रेल 16 अप्रैल 1853 में मुंबई (तत्कालीन बम्बई) से थाणे के बीच 34 किमी चली थी। इस समय कार्ल मार्क्स के अनुसार रेलवे व्यवस्था ही भारत के विकास की अग्रदूत बनेगी। रेलवे के प्रसार में अंग्रेज इंजीनियर रोबर्ट मैटलैंड की भूमिका उल्लेखनीय रही थी। पहली सवारी गाड़ी हावड़ा से हुगली के बीच 15 अगस्त 1854 को चली। यह 24 मील की यात्रा थी। मुंबई से कोलकाता के बीच सीधी रेल यात्रा की शुरुआत 1870 में हुई। दक्षिण में पहली रेल 1 जुलाई 1856 में मद्रास रेलवे कंपनी द्वारा व्यासर्पदी जीवा निलयम से वालाजाह रोड के बीच चलाई गई। भारत में रेलों के जाल बिछाने के लिए ग्रेट इंडियन पेनिन्सुला रेलवे नामक कम्पनी बनाई गई, 1900 में इसे सरकार ने खरीद लिया। इस समय विभिन्न रियासतों की अपनी-अपनी रेल कम्पनियां थी लेकिन 1907 तक लगभग सभी कम्पनियों को सरकार ने अपने नियंत्रण में ले लिया।
1900 के करीब कर्जन के समय भारत में रेलवे का सर्वाधिक विस्तार हुआ।
 रेल में शौचालय की सुविधा की शुरुआत प्रथम श्रेणी में 1891 और निचले दर्जे में 1907 में हुई।
भारत में पहली विद्दुत रेलगाड़ी 3 फरबरी 1925 बॉम्बे वीटी से कुरला के बीच चली।
 1924 रेल विभाग के लिए कोई अलग से प्रावधान नहीं था इसके लिए धन आम बजट में से किसी अन्य मंत्रलय जैसे ही धन का आवंटन किया जाता था लेकिन 1921 ईस्ट इंडियन रेलवे समिति ने इसे अलग करने की सिफारिश की, फलस्वरूप 1924 से रेलवे के लिए वित्त मंत्रालय से अलग कर दिया गया तभी से इसके लिए अलग से बजट का प्रावधान कर दिया गया 1924 में रेल का बजट भारत के आम बजट का लगभग 70 प्रतिशत था जो आज लगभग 14-15 प्रतिशंत तक रह गया है।
दुरंतो का डिजायन ममता बनर्जी ने स्वयं बनाया है
नई-दिल्ली भोपाल शताब्दी भारत में सबसे तेज़ चलने वाली रेलगाड़ी है जो सात घंटे चालीस मिनट में 704 किमी दूरी तय करती है। रेलवे में कम्प्यूटरी कृत आरक्षण प्रणाली की शुरुआत दिल्ली में 1986 में हुई।
 भारतीय रेल (आईआर) एशिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है तथा एकल प्रबंधनाधीन यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। 
यह 150 वर्षों से भी अधिक समय तक भारत के परिवहन क्षेत्र का मुख्य संघटक रहा है। विश्व का दूसरा और एशिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क  है। यह नेटवर्क लगभग  63,000 कि.मी.से अधिक मार्ग की लंबाई पर 7,100 से अधिक स्‍टेशन पर फैला हुआ है। भारत में इस समय तीन तरह की रेल लाइने हैं- जिसमें ब्राड गेज 1.676 मीटर, गेज 1 मीटर और नैरो गेज 0.762-0.610  मीटर है। भारत में सबसे लम्बी रेलगाड़ी डिब्रूगढ़ से कन्याकुमारी के बीच चलने वाली विवेक एक्सप्रेस है, जो 8286 किमी की दूरी तय करती है।
जल्द ही डबल डेकर ट्रेने भी दौड़ती नज़र आएंगी 

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