शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2013

वार्षिक वित्तीय विवरण-'बजट'

हम सभी हर वर्ष फरबरी के अंत में बजट शब्द खूब सुनते हैं।-"बजट सत्र फलां तारीख से शुरू होगा", "सरकार बजट में इस बार क्या क्या सस्ता करेगी, क्या क्या महगा करेगी", "इस बार का बजट लोकलुभावन है", या "इस बजट से मंहगाई बढ़ेगी" आदि-आदि।

बजट सत्र में रेल बजट, आर्थिक सर्वेक्षण और आम बजट आते हैं। आर्थिक सर्वेक्षण वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार द्वारा तैयार किया जाता है जो इस समय राघुराम राजन जी हैं।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे संविधान में कहीं भी 'बजट' शब्द का कोई उल्लेख नहीं है। तो फिर ये बजट-बजट आखिर है क्या??
दरअसल बजट शब्द फ्रांसीसी भाषा के bougette शब्द से निकला है जिसका अर्थ होताहै-चमड़े का थैला. 
1733 इंग्लैंड के वित्तमंत्री (चांसलर ऑफ एक्सचेकर) बजट से सम्बंधित कुछ कागजात एक बैग में लेकर संसद में गए तो अगले दिन समाचार पत्र में एक कार्टून प्रकाशित किया और उसमें लिखा 'बजट खोला गया'। तभी से बजट शब्द चलन में आया और ये हिंदी में भी बजट ही रहा। 
ये तो हुयी बजट शब्द की बात अब ये हमारे यहाँ क्यों प्रयोग में लाया जाता है?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के अनुसार राष्ट्रपति हर वर्ष सरकार से संसद के दोनों सदनों में "वार्षिक वित्तीय विवरण" रखने के लिए कहते है जिसके अंतर्गत ही जो विवरण सरकार रखती है उसे ही हम आम बोल-चाल की भाषा में बजट कहते हैं। बजट में मुख्यतया आने वाले वर्ष के लिए आय और व्यय का लेख जोखा होता है। यह वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होता है। 1967 के पहले ये अवधि 1 मई से 30 अप्रैल तक होती थी लेकिन क्योकि भारत एक कृषि प्रधान देश है तो कृषि में उत्पादन के हिसाब से ये नयी अवधी तय की गयी है। फ्रांस और बेल्जियम जैसे देशों में ये 1 जनबरी से 31 दिसंबर के बीच होता है।
बजट सत्र किसी वर्ष का पहला सत्र होता है अतः संविधान के अनुसार इस सत्र का आरम्भ दोनों सदनों में राष्ट्रपति जी के अभिभाषण से होता है।
एक बजट में कुल तीन वर्षों के आकड़े होते हैं। जैसे जब इस वर्ष का आम बजट पेश किया जाएगा तो उसमें 2011-12 के वास्तविक आकड़े, 2012-13 के संसोधित अनुमान, और 2013-14 के लिए आय और व्यय के रूपरेखा रहती है। बजट में कुल 109 मांगे होती है जिसमें 103 मांगे लोक व्यय से और 6 मांगे रक्षा व्यय से सम्बंधित होती है।
एनडीए सरकार (अटल जी की सरकार) के पहले बजट शाम को 5 बजे पेश किया जाता था। बजट को शाम 5 बजे पेश करने की पृथा अंग्रेजों के जमाने से ही चल रही थी, इसका कारण था कि यहाँ के शाम के पाँच बजे ब्रिटेन में सुबह 11:30बजे संसद का सत्र शुरू होता था तो अंग्रेज अपने यहाँ की संसद के अनुसार यहाँ भी व्यवहार करते थे।
एनडीए सरकार ने 1999 में गुलामी की इस पृथा को बदलते हुए इसके पेश करने का समय भारतीय समयानुसार सुबह 11 बजे कर दिया। (11 बजे ही संसद में कार्यवाही शुरू होती है)
बजट के बारे में एक तथ्य यह भी है कि जब विश्वनाथ प्रताप सिंह वित्त मंत्री बने तो उन्होंने बजट पर वित्तमंत्री का नाम लिखने की परंपरा शुरू की, इससे पहले किसी भी मंत्री का नाम बजट पर नहीं होता था।

वित्तमंत्री के रूप में पी चिदंबरम "bougette"लिए संसद जाते हुए 
भारत में पहला बजट 7 अप्रैल 1860 में जेम्स विल्सन द्वारा पेश किया गया। किसी भारतीय द्वारा पहला बजट 26 जनबरी 1947 को पेश किया गया, ये पहले भारतीय आर. के. षणमुखम शेट्टी थे। ये बजट अंतरिम बजट था (अंतरिम बजट तब आता है जब लोकसभा का विघटन हो  चुका हो या हाल में ही नई सरकार ने कार्यभार संभाला हो) और गणतंत्र भारत का पहला बजट जान मथाई ने फरबरी 1950 में पेश किया था।
बजट संसद में पेश होने और मंत्री के भाषण के बाद संसद में सत्र का स्थगन हो जाता है, फिर कुछ दिनों के अंतराल के बाद  विभिन्न मंत्रालय की जो भी मांगे होती हैं उन पर मतदान होता है। बजट सत्र में इस अंतराल के दौरान संसद की विभिन्न समितियां मंत्रालयों की मांग पर चर्चा करती है। उसमें उन्हें जो राशि अनावश्यक लगती है उसे वे काट देतीं हैं। संसद की ये स्थायी समितियों में सभी दलों के सदस्य होते हैं और ये सदस्य पार्टी लाइन से उपर उठकर निर्णय लेते हैं। विभिन्न दलों के इस सदस्यों पर पार्टी व्हिप का भी कोई असर नहीं करता, यहाँ अगर कोई सदस्य पार्टी के विचार से हटकर राय रखता है तो उस पर कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती। सरकार यदि संसद में बजट पारित करवाने में असफल रहती है तो माना जाता है कि सरकार ने बहुमत खो दिया और उसे इस्तीफ़ा देना होता है।
अभी तक सबसे ज्यादा बार बजट पेश करने का श्रेय मोरार जी देसाई को है जिन्होंने 10 बार बजट पेश किया था, पी चिदंबरम जी अगर अगले वर्ष भी बजट पेश करेंगे तो वो भो 10 के क्लब में शामिल हो जायेंगे।

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