सोमवार, 1 अक्तूबर 2012

राम (अटल जी) के हनुमान (ब्रिजेश मिश्र)

 अटल बिहारी वाजपेयी को अघोषित रूप से "राम" और उनके प्रमुख सचिव एवं देश के पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रिजेश मिश्रा को घोषित रूप से "हनुमान " की संज्ञा बीबीसी के वरिष्ठ पत्रकार रेहान फजल ने दी है।भारत के पूर्व राजनयिक और ब्रिजेश मिश्र के साथ काम कर चुके ललित मान सिंह ने इनको "आधुनिक चाणक्य" की संज्ञा दी है।

मध्य प्रदेश के कांग्रेसी मुख्यमंत्री द्वारका प्रसाद मिश्र के यहाँ जन्मे ब्रिजेश मिश्र ने 1951 में भारतीय विदेश सेवा के लिए चुने गए 1991 में सेवानिवृत होने के बाद उन्होंने भाजपा की सदस्यता ले ली,लेकिन 1998 में सुरक्षा सलाहकार बनाए जाने से पूर्व ही वे इससे हट गए थे। ब्रिजेश मिश्र की भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा जी से कम ही पटती थी यही वजह थी कि उनको संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पद से हटा लिया गया था। वही दूसरी ओर अटल बिहारी के सरां में प्राय: आने-जाने से उनमे आपसी मेलजोल पर्याप्त था। कहा जाता है कि अटल जी और ब्रिजेश मिश्र के लिए सरां एक मीटिंग ग्राउंड था। जब मिश्र सलाहकार के पद पर नियुक्त हुए उस समय भारत के सम्बन्ध विदेश नीति के स्तर पर बहुत परिपक्व नहीं कहे जा सकते थे। मिश्र ने अमेरिका को पहले की अपेक्षा अधिक महत्व देते हुए अमेरिका और रूस से मित्रता के लिए बीच का रास्ता निकाला, जिसे लेकर उनकी आलोचना भी हुयी। मिश्र के अनुसार पकिस्तान के साथ भारत के संबंधो का सामन्यी करण बहुत मुश्किल भरा है क्यों की वहां की सेना का अस्तित्व भारत विरोध पर ही टिका है ऐसे में सेना अच्छे सम्बन्ध कभी नहीं चाहेगी। पद गृहण के कुछ ही हफ्तों बाद जब भारत ने शक्ति श्रंखला नाम के पोखरण में परमाणु परिक्षण किये तो अन्य देशो द्वारा भारत पर प्रतिबंधो का सामना भी बड़ी सावधानी से किया, इसके बाद भारत के न्युक्लियर दक्त्राइएन में "नो फर्स्ट यूज" जैसी अवधारणा के पीछे मुख्य भूमिका निभाई। 1999 में कारगिल की घटना ने मिश्र को भारतीय सुरक्षा उपकरणों को जांचने की चुनौती पेश की। उन्होंने चीन, पकिस्तान और अमेरिका से सम्बन्ध को एक आयाम देने की कोशिश की। मिश्र के अनुसार संसद पर आतंकवादी हमले के बाद भारत ने पकिस्तान पर आक्रमण के लिए 7 जनबरी का दिन निश्चित किया था लेकिन अमेरिकी दवाव के कारण ऐसा न हो सका। अपने काम को समय से करने और देशहित को प्राथमिक उद्देश्य रखने वाले मिश्र ने भारत-अमेरिकी नाभिकीय करार का पहले विरोध किया लेकिन जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उनसे व्यक्तिगत बातचीत में इसे समझाया तो वे इसके पक्ष में हो गए।
एक निजी टीवी चैनल पर साक्षात्कार के दौरान जब उनसे अटल बिहारी को भारत रत्न देने के बारे में पूछ गया तो उन्होंने बिना देर किये ऐसा करने के लिए कहा, साथ ही उन्होंने ये भी जोड़ा कि वे भारत में दो प्रधानमंत्रियों को ही महान मानते है जिसमे एक इंदिरा गाँधी और दूसरे अटल बिहारी। लेकिन दोनों में अटल बिहारी अधिक महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने इंदिरा जी को तानाशाह की संज्ञा दी और अटल बिहारी को स्टेट्समेन बताया था जो सरकार में सभी की सुनते थे।
ब्रिजेश मिश्र को 2011 भारत के द्वितीय सर्वोच्च पुरुष्कार पदम् विभूषण से सम्मानित किया गया।

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